Tuesday, September 23, 2014

Bacche bade ho gaiye hain ...

एक युवक क़रीब 20 साल के बाद विदेश से अपने शहर लौटा था !

बाज़ार में घुमते हुए सहसा उसकी नज़रें सब्जी का ठेला लगाये एक बूढे पर जा टिकीं ! बहुत कोशिश के बावजूद भी युवक उसको पहचान नहीं पा रहा था ! लेकिन न जाने बार बार ऐसा क्यों लग रहा था की वो उसे बड़ी अच्छी तरह से जनता है !

उत्सुकता उस बूढ़े से भी छुपी न रही, उसके चेहरे पर आई अचानक मुस्कान से मैं समझ गया था कि उसने युवक को पहचान लिया था ! काफी देर ...की जेहनी कशमकश के बाद जब युवक ने उसे पहचाना तो उसके पाँव के नीचे से मानो ज़मीन खिसक गई !

जब युवक विदेश गया था तो उनकी एक बड़ी आटा मिल हुआ करती थी, घर में नौकर चाकर कIम किया करते थे ! धर्म कर्म, दान पुण्य में सब से अग्रणी इस दानवीर पुरुष को युवक ताऊजी कह कर बुलाया करता था !

वही आटा मिल का मालिक और आज सब्जी का ठेला लगाने पर मजबूर .. ?

युवक से रहा नहीं गया और वो उसके पास जा पहुँचा और बहुत मुश्किल से रुंधे गले से पूछा : "ताऊ जी, ये सब कैसे हो गया ...?"

भरी ऑंखें से बूढ़े ने युवक के कंधे पर हाथ रख उत्तर दिया : - "बच्चे बड़े हो गए हैं बेटा" !!

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