मोहल्ले में एक नई, बहुत ही खूबसूरत और जवान पड़ोसन रहने आई।
पड़ोसन ने धीरे-धीरे मोहल्ले के घरों में आना-जाना शुरू किया।
एक दिन वह पड़ोसन सब्ज़ी वाले की दुकान पर वर्मा जी को मिली। उसने खुद आगे बढ़कर वर्मा जी को नमस्ते किया। वर्मा जी को अपनी क़िस्मत पर बड़ा गर्व हुआ। पड़ोसन बोली, "वर्मा जी, बुरा न मानें तो आपसे कुछ समझना था ?"
वर्मा जी ख़ुशी से पगला ही गए। वजह ये भी थी कि उस पड़ोसन ने आम अनजान औरतों की तरह भैय्या नहींं कहा था, बल्कि वर्मा साहब कहा था !
वर्मा जी ने बड़ी मुश्किल से अपनी ख़ुशी छुपाते हुए बड़े प्यारे अंदाज़ में जवाब दिया "जी फरमाइए !"
पड़ोसन ने कहा कि मेरे पति अक्सर काम के सिलसिले में बाहर रहते हैं। मैं इतनी पढ़ी-लिखी नहीं हूँ, बच्चों के एडमिशन के लिए आपके साथ की ज़रुरत थी ! "वो आगे बोली, "यूँ सड़क पर खड़े होकर बातें करना ठीक नहीं है। आपके पास वक़्त हो तो मेरे घर चल कर कुछ मिनट मुझे समझा दें, ताकि मैं कल ही बच्चों का एडमिशन करा दूँ !"
ख़ुशी से पगले हुए वर्मा जी चंद मिनट तो क्या सदियां बिताने को तैयार थे। उन्होंने फ़ौरन कहा कि जी, ज़रूर चलिए !
वर्मा जी पड़ोसन के साथ घर में दाखिल हुए, अभी सोफे पर बैठे ही थे कि बाहर स्कूटर के रुकने की आवाज़ सी आयी।
पड़ोसन ने घबराकर कहा, "हे ईश्वर, लगता है मेरे पतिदेव आ गए। उन्होंने यहाँ आपको देख लिया तो वो मेरा और आपका, दोनों का खून ही कर डालेंगे। कुछ भी नहीं सुनेंगे। आप एक काम कीजिये, वो सामने कपड़ों का ढेर है, आप ये नीला दुपट्टा सर पर डाल लें और उन कपड़ों पर इस्त्री करना शुरू कर दें। मैं उनसे कह दूँगी कि प्रेस वाली मौसी काम कर रही है ! "
वर्मा जी ने जल्दी से नीला दुपट्टा ओढ़कर शानदार घूँघट निकाला और उस कपड़े के ढेर से कपड़े लेकर प्रेस करने लगे। तीन घंटे तक वर्मा जी ने ढेर लगे सभी कपड़ों पर इस्त्री कर डाली थी। आखरी कपड़े पर इस्त्री पूरी हुई, तब तक पड़ोसन का खुर्रांट पति भी वापस चला गया था।
पसीने से लथपथ और थकान से निढाल वर्मा जी दुपट्टा फेंक कर घर से निकले।
जैसे ही वो निकल कर चार क़दम चले, सामने से उनके पड़ोसी, दूबे जी आते दिखाई दिए।
वर्मा जी की हालत देख कर दूबे जी ने पूछा, "कितनी देर से अंदर थे ?" वर्मा जी ने कहा " तीन घंटों से, क्योंकि उसका पति आ गया था, इसलिए तीन घंटों से कपड़ों पर इस्त्री कर रहा था !"
दूबे जी ने आह भर कर कहा, "जिन कपड़ों पर तुमने तीन घंटे घूँघट निकाल कर इस्त्री की है, उन कपड़ों के ढेर को कल मैंने चार घंटे बैठ कर धोया है, क्या तुमने भी नीला दुपट्टा ओढ़ा था ?"
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