सभी मित्रों को समर्पित..
जब याद का किस्सा खोलूं तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं ।
मैं गुजरे पल को सोचूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं ।।
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं ।
मैं गुजरे पल को सोचूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं ।।
अब जाने कौन सी नगरी में
आबाद हैं जाकर मुद्दत से
मैं देर रात तक जागूं तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं ।।
आबाद हैं जाकर मुद्दत से
मैं देर रात तक जागूं तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं ।।
कुछ बातें थी फूलों जैसी,
कुछ लहजे फूलों जैसे थे ।
मैं शहरे चमन में टहलूं तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं ।।
कुछ लहजे फूलों जैसे थे ।
मैं शहरे चमन में टहलूं तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं ।।
वो पल भर की नाराजगियाँ,
और मान भी जाना पल भर में ।
अब खुद से भी रूठूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं ।।
और मान भी जाना पल भर में ।
अब खुद से भी रूठूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं ।।
No comments:
Post a Comment