रेशम सी किरने,एक नया सवेरा
फूलों में बदली सारी कलिया
कही दव की बूँदे ,थोड़ी पत्तियों की शरारत
सारी अवनी पर,एक नयी हरकत
खुशबू की कशीश्, महकता समा
अपना अपना फूल चुनने आई तितलिया
कानो में करती मधुर वाणी
कोमल सी तितली बनती बड़ी सयानी
नाज़ुक से होठों से चुनती पराग कन
फूल भी पिघल कर देता अपना धन
करते है दोनो प्रेम की बाते
कुछ पल बाद रुखसत हो जाते
पर एक प्यारे वादे के साथ,के
के रोज़ रोज़ होंगी ये मीठि मुलाकाते.
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