इतने दिनों के बाद मिले,
तुमने पहचान लिया,
मैं पहचान न पाया.
“कैसे हो ?” पूछ लिया,
जवाब भी पा लिया,
मैं पूछ न पाया.
अब अफ़सोस हो रहा है,
तुम सहज रहे कैसे ?
तुमने पहचान लिया,
मैं पहचान न पाया.
“कैसे हो ?” पूछ लिया,
जवाब भी पा लिया,
मैं पूछ न पाया.
अब अफ़सोस हो रहा है,
तुम सहज रहे कैसे ?
मैं क्यों रह न पाया ?
फिर कभी मिलोगे यूँ ही ?
फिर कभी मिलोगे यूँ ही ?
मुझको अपना समझोगे ?
मैं तुमको अपना कह न पाया.
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