Saturday, June 20, 2009

मेरी माँ ...

मैं अकेला रो रहा था


तूनें कब की परवाह,


आगोश में जिसने समेटा


वो नहीं थी मेरी माँ।


मैं ग़लत था, मैं सही था,


तूनें कभी बताया कहाँ?


प्रेम से जिसने समझाया


वो नहीं थी मेरी माँ।


काश! तब समझा होता


तेरे मौन का मतलब माँ,


तू जगी, मैं सो रहा था


रो रही थी मेरी माँ ।


इस जहाँ में तेरा-मेरा


सबसे न्यारा रिश्ता माँ।


हौले-हौले मैं समझ गया


माँ तू ही थी मेरी माँ।

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