धीरूभाई अम्बानी किसी अर्जेंट मिटिगं करने जा रहे थे।
राह में एक भयंकर तूफ़ान आया , ड्राइवर ने अम्बानी से पूछा -- अब हम क्या करें?
अम्बानी ने जवाब दिया -- कार चलाते रहो.
तूफ़ान में कार चलाना बहुत ही मुश्किल हो रहा था, तूफ़ान और भयंकर होता जा रहा था. अब मैं क्या करू ? -- ड्राइवर ने पुनः पूछा.
कार चलाते रहो. -- अम्बानी ने पुनः कहा.
थोड़ा आगे जाने पर ड्राइवर ने देखा की राह में कई वाहन तूफ़ान की वजह से रुके हुए थे......
उसने फिर अम्बानी से कहा -- मुझे कार रोक देनी चाहिए.......मैं मुश्किल से देख पा रहा हुं!!.......
यह भयंकर है और प्रत्येक ने अपना वाहन रोक दिया है.......
इस बार अम्बानी ने फिर निर्देशित किया -- कार रोकना नहीं. बस चलाते रहो....
तूफ़ान ने बहुत ही भयंकर रूप धारण कर लिया था किन्तु ड्राइवर ने कार चलाना नहीं छोड़ा..........
और अचानक ही उसने देखा कि कुछ साफ़ दिखने लगा है.........
कुछ किलो मीटर आगे जाने के पश्चात ड्राइवर ने देखा कि तूफ़ान थम गया और सूरज निकल आया......
अब अम्बानी ने कहा -- अब तुम कार रोक सकते हो और बाहर आ सकते हो........
चालक ने पूछा -- पर अब क्यों?
अम्बानी ने कहा -- जब तुम बाहर आओगे तो देखोगे कि जो राह में रुक गए थे, वे अभी भी तूफ़ान में फंसे हुए हैं.....
चूँकि तुमने कार चलाने का प्रयत्न नहीं छोड़ा, तुम तूफ़ान के बाहर हो......
यह किस्सा उन लोगों के लिए एक प्रमाण है जो कठिन समय से गुजर रहे हैं.........
मजबूत से मजबूत इंसान भी प्रयास छोड़ देते हैं........किन्तु प्रयास कभी भी छोड़ना नहीं चाहिए.......
निश्चित ही जिन्दगी के कठिन समय गुजर जायेंगे और सुबह के सूरज की भांति चमक आपके जीवन में पुनः आयेगी.......!!
ऐसा नहीं है की जिंदगी बहुत छोटी है। दरअसल हम जीना ही बहुत देर से शुरू करते हैं!!!
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