Tuesday, February 19, 2008

आत्महत्या क्यों?

आजकल पता नहीं क्या हुआ है कि हमारे देश में आत्महत्या करने वालों की संक्या बढ़ती जा रही है। रोजाना अखबार में कुछ आत्महत्या छपती रहती हैं। पहले भी खबरें छपती थीं पर वो कम होती थी और कुछ गम्भीर कारणों की वजह से लोग ऐसा करते थे। लेकिन अब तो बहुत ही छोटी-छोटी बातों पर लोग इतना बड़ा कदम उठा रहे हैं। इतनी छोटी बातों पर जिन्दगी से नाता तोड़ना कहीं न कहीं संघर्षशीलता की कमी को दिखलाता है। ऐसा लग रहा है मानो आत्महत्या करना कोई बहुत अच्छा काम है और इसका भी फैशन फैला हुआ है।
पिछले कुछ दिनों में कुछ ऐसे समाचार अखबार में आये -
किसी छात्र के कम नंबर आये इसलिये आत्महत्या कर ली।
कोई छात्र अपनी क्लास का टॉपर था, सबकि उससे उम्मीदें उस से बहुत ज्यादा थी। वह दबाव न सह सका इसलिये आत्महत्या कर ली।
एक महिला को उसके पति ने ज्वैलरी खरीद कर नहीं दी इसलिये आत्महत्या कर ली।
एक युवक को उसको पिता ने नई कार खरीद कर नहीं दी इसलिये प्राणों का अन्त कर लिया।
समाजवादी पार्टी के एक कार्यकर्ता ने आंदोलन की वजह से आत्मदाह कर लिया।
एक व्यक्ति अच्छी कंपनी में मैनेजर था, रिव्यू मीटिंग से पहले आत्महत्या कर ली।
और भी बहुत सी छोटी-छोटी बाते हैं।
इसी तरह के तमाम समाचार रोजाना छपते रहते हैं और सोचने को विवश कर देते हैं कि क्यों लोग मामूली कारणों के बावजूद इतना बड़ा कदम उठा रहे हैं। कई बार तो आत्महत्या का कारण भी पता नहीं चल पाता है।
आखिर जीवन में संघर्ष तो होता ही है। आप इससे डर कर कैसे भाग सकते हैं। आप अपने जीवन का अंत करेंगे तो सोचिये कि उनका क्या होगा जो आपके अपने हैं? उनको किस बात की सजा देना चाहते हो? सोचिये उन मां-बाप के बारे में जिन्होंने आपको पाल पोस कर बड़ा किया और आप पर जिनकी उम्मीदें टिकी हैं। सोचिये कि अगर आपको पालने में आने वाली तकलीफों की वजह से अगर मां-बाप ने ऐसा किया होता तो आज आप कहां होते। क्यों ऐसा करने की सोचते भी हो। जीवन में आने वाली चुनौतियों को टाल देना मुमकिन नहीं हैं लेकिन जो व्यक्ति उन तकलीफों से साम्य बैठा लेते हैं वो ही सच्चे इंसान हैं न कि उन तकलीफों से भागने वाले।
छोटी-छोटी परेशानियों से भागकर टूटने वाला व्यक्ति कभी जीत तो सकता ही नहीं बल्कि वो इन परेशानियो में खुद को ऐसा उलझा लेता है कि उसे हर बात में दुख होता रहता है। उसकी सोच नकारात्मक हो जाती है। यदि इन परेशानियों के प्रति सकारात्मक रवैया रखा जाय तो आप देखेंगे कि आप परेशानी से पार आ चुके हैं। जीना भी एक कला है। जीवन में परिस्थितियों में अपने आप को ढालने की गुंजाइश रखिये। उन करोड़ो लोगो के बारे में सोचिये जिन्हें आप से भी बहुत कम मिला है फिर जीवन से संघर्ष करते हुये जीते हैं। वक्त हमेश एक सा नहीं रहता, जो कमी आज आपको नजर आ रही है वो कल को दूर हो जायेगी।
जिन्दगी जम के जियो। हिम्मत मत हारो।

Wednesday, February 06, 2008

WeddingQuery....... ........ (SQL Style)

CREATE PROCEDURE MyMarriage
BrideGroom Male (25) ,
Bride Female(20) AS
BEGIN
SELECT Bride FROM india_ Brides
WHERE FatherInLaw = 'Millionaire' AND Count(Car) > 20 AND HouseStatus ='ThreeStoreyed'
AND BrideEduStatus IN (B.TECH ,BE ,Degree ,MCA ,MiBA) AND Having Brothers= Null AND Sisters =Null




SELECT Gold ,Cash,Car,BankBalanceFROM FatherInLaw
UPDATEMyBankAccout SETMyBal = MyBal + FatherInLawBal
UPDATEMyLockerSET MyLockerContents = MyLockerContents + FatherInLawGold
INSERT INTOMyCarShed VALUES('BMW')
END
GO




Then the wife writes the below query:




DROP HUSBAND;
Commit;

Wednesday, January 02, 2008

Mere har khyal

Mere har khyal pe tu is kadar kaabiz hai

Tujhe yaad karma bhi mushkil lagta hai

Mere zehan me ek sawal ban ke rah gaya hai

Sawal karma bhi chhahun to mushkil lagta hai



Jaane kya pay tere khyal se mila hai

Namumkin bhi ab mumkin lagta hai

Tere naam se koo e dil yoon labrez hai

Khud apna guzarna bhi mushkil lagta hai



Safa dar safa taqdeer ne khel khela hai

Harf dar harf likhna bhi mushkil lagta hai

Koi vaayaz na raha mera na raha koi raqeeb

Aarzoo ke bhanwar se nikalna mushkil lagta hai




Tere ishq ki daulat se main itna bhar gaya hon

Aana mujhe apne khyal ka mushkil lagta hai

Sunday, December 30, 2007

Dard

Dil me kuch bacha nai dard k siwa,
akho me ata nai koi ansu k siwa,

dost tu mat sath chodna mera,

zindagi me kuch bacha nai teri dosti k siva ....